वाराणसी : यहां मौजूद है पाकिस्तानी महादेव का मन्दिर, सावन में रहता है शिव भक्तों का जमावड़ा, सरकारी दस्तावेजों में भी दर्ज

वाराणसी : यहां मौजूद है पाकिस्तानी महादेव का मन्दिर, सावन में रहता है शिव भक्तों का जमावड़ा, सरकारी दस्तावेजों में भी दर्ज
के.के.मिश्रा न्यूज टुडे यूपी डाट काम
पाकिस्तान का नाम आते ही भारतीयों में दुश्मन देश की छवि कौंध जाती है, लेकिन महादेव की महिमा देखिए कि काशी में भी वह पाकिस्तानी महादेव के नाम से प्रतिष्ठित हुए हैं।पाकिस्तानी महादेव का यह शिवलिंग, वाराणासी के गायघाट के पास शीतला घाट पर स्थापित है।
यही नहीं नगर निगम से लेकर अन्य सरकारी दस्तावेजों में भी महादेव का यह मंदिर पाकिस्तानी महादेव के नाम से दर्ज है। इस शिवलिंग के बारे में यह तथ्य हैं कि आजादी के बाद जब भारत और पाकिस्तान में बंटवारा हुआ, उसी दौरान यह शिवलिंग एक हिन्दू परिवार अपने साथ लाहौर से लाया था और यही घटना बाबा के अजीबोगरीब नामकरण का आधार बनी।
मंदिर की देखरेख करने वाले स्थानीय लोग बताते हैं कि जब देश का बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान के लाहौर में रहने वाले सीताराम बनारस (काशी) में अपने एक रिश्तेदार के यहाँ पहुंचे थे। उनके पास यह शिवलिंग था जिसकी वह पूजा करते थे। भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद वो इस शिवलिंग को अपने साथ ही काशी ले आये और वह शिवलिंग को गंगा में प्रवाहित करना चाहते थे लेकिन उनके रिश्तेदार व स्थानीय लोगों के अनुरोध पर कि, काशी खुद बाबा विश्वनाथ की नगरी है और यहां के कण कण में भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं। इसे विसर्जित ना करें बल्कि इसकी प्राण प्रतिष्ठा कर इसे यहीं स्थापित कर दें। क्षेत्रीय लोगों के अनुरोध पर इस शिवलिंग को बनारस के 84 घाटों में से एक, शीतला घाट पर स्थापित कर दिया गया।
मंदिर के महंथ अजय शर्मा ने बताया कि पाकिस्तान के लाहौर से आये एक हिन्दू परिवार के सीताराम द्वारा इस शिवलिंग को देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से लाए थे, जिसे वह गंगा में विसर्जित करना चाहते थे। लेकिन स्थानीय लोगों के अनुरोध पर शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कर उसे वाराणासी के शीतला घाट पर स्थापित कर दिया गया। वर्षों बाद उनके रिश्तेदार यमुना दास ने यहां मंदिर का निर्माण करवा दिया ।
नगर निगम समेत सभी महत्वपूर्ण सरकारी अभिलेख में इस मंदिर का नाम पाकिस्तानी महादेव के नाम से दर्ज है।
सावन में पाकिस्तानी महादेव के दर्शन के लिए क्षेत्रीय लोग काफी संख्या में यहां पहुंचते है और बाबा का जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।