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बहराइच : सर्पदंश पर क्या क्या बरते सावधानी ,कैसे करें बचाव,वरिष्ठ चिकित्सक ने लोगों से की अपील

बहराइच : सर्पदंश पर क्या क्या बरते सावधानी ,कैसे करें बचाव,वरिष्ठ चिकित्सक ने लोगों से की अपील

के.के.मिश्रा न्यूज टुडे यूपी डाट काम

 

चिकित्साअधिकारीफखरपुर से डॉ नरेंद्र सिंह सर्प की बहुत सारी प्रजातियां पूरे विश्व में पाई जाती हैं। परंतु गर्म देशों में यह अधिक संख्या में मिलती हैं। खास बात यह है कि देश में पाए जाने वाले सर्पों में 80% सर्प जहरीले नहीं होते। सांप काटने के लक्षण उपचार और सुझाव के बारे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के फखरपुर के चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने बताया कि जहरीले सांपों की विश्व में 3 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं ,जिसमें प्रथम यूरोटोशिक जिसमें कोबरा, केरात ,और घोड़ मुख्य होते हैं।

इनके काटने पर विश से हाथ व पैरों की तालिका में तथा केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में स्थिरता होने लगती है। इन सांपों के काटने से मरीज के मुंह से अत्यधिक लार गिरना और लड़खराना और कभी-कभी उल्टी भी आने लगती है।विष का प्रभाव बढ़ने पर फेफड़ों मैं जकड़न , मिर्गी के दौरे जैसे पड़ने लगते हैं तथा मृत्यु भी हो सकती है ।सांप के काटे हुए स्थान पर तेज गंध भी आने लगती है। दूसरी श्रेणी जिसमें मुख्यता सरल वाईपर ,कारपेट वाइबर सांप आते हैं, इसके दांत लंबे व खड़े होते हैं।तथा बहुत ही जहरीले होते हैं, जो शरीर के सुधीर तंत्र को प्रभावित करते हैं इनके काटने पर कटे हुए स्थान पर काफी सूजन आ जाती है तथा कभी-कभी सांपके काटे हुए स्थान से खून निकलने लगता है जो कि बंद नहीं होता।

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इसके अलावा कभी-कभी इस सांप के कांटे से मरीज में पोलियो के लक्षण दिखाई पड़ते हैं क्योंकि सर्प के काटने से खून में हीमोग्लोबिन की कमी होने लगती है और अधिक होने के कारण कभी-कभी कुछ ही घंटों में हृदयाघात के कारण मृत्यु हो जाती है। सांप कीतृतीय श्रेणी में ऑटोटॉक्सिक की होती है जिसमें समुद्री सांप आते हैं जो हिंद महासागर अरब महासागर और तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।इनके काटने के लक्षण भी कुछ कोबरा जैसे होता है। इसके विष से शरीर की मांसपेशियां स्थिर पड़ जाती है। डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने बताया कि सर्पदंश के तुरंत बाद मरीज को प्राथमिक चिकित्सा का बहुत महत्व होता है। अगर नजदीकी स्वास्थ्य ना हो तो इसका उपचार घर में करने के लिए मरीज को तुरंत बिस्तर पर लिटा देना चाहिए और भागने दौड़ने न देना चाहिए, जिससे विष का संचार ना होने पाए।

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सर्प दंश के कुछ ही सेंटीमीटर ऊपर कसकर बांध देना चाहिए। इसके बाद इसको बंधन को 10 से 15 मिनट तक कुछ सेकंड के लिए खोल देना चाहिए तथा उसके बाद बांध देना चाहिए।जिससे खून का संचार बना रहे सर्पदंश के स्थान पर 1 सेंटीमीटर गहरा चीरा लगाकर उस स्थान पर रक्त मोछण करना चाहिए इसके लिए बेस्ट पंप या रबर पंप का इस्तेमाल करना चाहिए अगर उपचार करने वाले व्यक्ति के मुंह पर कोई घाव नहीं है तो कुछ देर विष चूस कर थूक देना चाहिए। इस तरह लगभग 1 घंटे तक यह प्रक्रिया करनी चाहिए। इसमें लगभग 50% इसका असर कम हो जाता है परंतु यह प्रक्रिया तुरंत बाद करनी चाहिए। सर्पदंश के 1 घंटे बाद इस प्रक्रिया को करने से कोई लाभ नहीं है उन्होंने बताया कि चीरालगाते समय घाव बहुत गहरा नहीं होना चाहिए अन्यथा विष का संचार घाव धमनियों में होने से मरीज को मृत्यु भी हो सकती है।

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घाव को लाल दवा के घोल पोटेशियम परमैग्नेट से अच्छी तरह धोना चाहिए। तत्पश्चात मरीज को यथासंभव नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचना चाहिए। चिकित्सालय में जहर के लक्षण को देखते हुए 10 से 100 मिली एंटीसेप्टिक तीन से चार बार बोतल में डालकर धीमी गति से चढ़ाना चाहिए जिससे मरीज को सर्प दंश का शिकार ना होने पाए।

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