Newsbeat

बहराइच : मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी डा.दिनेश चन्द्र की सराहना,हरा चारा के लिए प्रदेश में अपनाया जायेगा  नेपियर घास मॉडल

बहराइच : मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी डा.दिनेश चन्द्र की सराहना,हरा चारा के लिए प्रदेश में अपनाया जायेगा  नेपियर घास मॉडल

बहराइच 17 अगस्त। आकांक्षात्मक जनपद बहराइच को चारा प्रबन्धन विशेषकर हरा चारा प्रबन्धन में आत्मनिर्भर बनाये जाने के उद्देश्य से नेपियर घास के संवर्द्वन एवं क्षेत्र विकास के लिए किये जा रहे भागीरथ प्रयासों को दृष्टिगत रखते हुए मंगलवार को देर शाम प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग में जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र को पावर प्वाईन्ट प्रिज़ेन्टेशन का अवसर प्रदान किया गया।
डीएम डॉ. चन्द्र ने बताया कि गोवंशों के चारे में मुख्यतः सूखा चारा, हरा चारा एवं दाना तीन हिस्से होते हैं। सूखे चारे मे भूसा बहुतायत से पशुओं को खिलाया जाता है, जिसकी कीमत ज़्यादा होती है एवं पोषण तत्व नगण्य होते हैं। इस समस्या के समाधान के लिये मक्का, चरी, बरसीम, जई आदि हरे चारे का प्रयोग कर गोवंशों को खिलाया जाता है, परन्तु यह सभी चारे ऋतु आधारित होते हैं, वर्ष पर्यन्त हरे चारे की आपूर्ति के लिए संकर नैपियर घास गोवंशों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

नैपियर घास की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए डीएम डॉ. चन्द्र ने बताया कि पौष्टिक एवं सूपाच्य होने के साथ-साथ यह एक बहुवर्षीय हरा चारा है। इसे एक बार बोने पर पांच वर्षों तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। प्रथम कटिंग बोवाई के मात्र दो माह बाद, तद्पश्चात हर 02 माह में कटिंग ली जा सकती है। नैपियर घास में क्रूड प्रोटीन 10-12 प्रतिशत तक पायी जाती है। रख-रखाव में आसान तथा कम लागत में तैयार होने के कारण यह चारा सभी वर्ग के पशुपालकों के लिए वरदान है। संकर नैपियर से 4 कटिंग में 1500-1700 कु. प्रति हे. प्रति कटाई हरा-चारा प्राप्त किया जा सकता है। नैपियर घास का कुल उत्पादन लगभग 6000-7000 कु. प्रति हे. प्रति वर्ष (30000-35000 कु. प्रति हे. 05 वर्ष में) जो की अन्य मौसमी चारा फसलों के मुकाबले 03 गुना ज्यादा उत्पादन होता है। जिसके फलस्वरूप चारे में होने वाले कुल खर्च (5 वर्ष) में लगभग 3-4 लाख रू. प्रति हे. की बचत होगी।
डीएम डॉ. चन्द्र ने बताया कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी व प्रदेश के मुखिया श्री योगी आदित्यनाथ जी के आत्मनिर्भर देश व प्रदेश के संकल्प से प्रेरित होकर जिले को चारा प्रबन्धन में आत्मनिर्भर बनाये जाने के उद्देश्य से गतवर्ष लगभग 25 हे. नैपियर घास गो आश्रय स्थलों में लगाई गयी थी। वर्तमान में नैपियर घास के क्षेत्र को विस्तारित कर लगभग 58 हे. क्षेत्र में नैपियर घास लगायी जा चुकी है। जिसमें अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल, वृहद गो आश्रय स्थल एवं उनसे लिंक चारागाह शामिल हैं। जनपद में कुल 100 हे. में नैपियर घास लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है जिसे प्राप्त करने हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। निजी क्षेत्र में भी नैपियर घास के विस्तार हेतु जिले के लगभग 1200 किसानों को नैपियर घास के बीज का वितरण कर उन्हें तकनीकी सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है।
डीएम ने बताया कि जनपद में नैपियर घास का सफर माह जून 2021 से प्रारम्भ हुआ। तत्कालीन मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. बलवन्त सिंह को जनपद सहारनपुर भेजकर घास का बीज मंगा कर अपने सरकारी आवास तथा ब्लाक पयागपुर के ग्राम त्रिकोलिया में घास की रोपाई करायी गयी थी। लगभग 01 वर्ष की अल्पअवधि में डीएम के सरकारी आवास तथा कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच एवं नानपारा में 01-01 एकड़ क्षेत्रफल में नैपियर घास बीज उत्पादन किया जा रहा है। वर्तमान में मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना के मार्गदर्शन में जिले के समस्त 14 विकास खण्डों में अलग-अलग स्थानों पर 51 हे. क्षेत्र में नैपियर घास की बोआई की गई है।
वर्चुअल मीटिंग के दौरान मा. मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश, श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि गोवंशों के संवर्द्धन तथा वर्षभर हरा चारा की उपलब्धता के लिए नैपियर घास को लेकर डीएम बहराइच द्वारा किया गया अभिनव प्रयास सराहनीय है। श्री मिश्र ने कहा कि नैपियर घास के क्षेत्र विस्तार से सभी गोवंशों विशेषकर गोआश्रय स्थलों में संरक्षित निराश्रित गोवंशों के लिए वरदान साबित होगी। मुख्य सचिव श्री मिश्र ने कहा कि डीएम बहराइच का प्रयास प्रदेश के अन्य जनपदों के लिए अनुकरणीय है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button