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गोण्डा : पार्टी लाइन से अलग अपनी ताकत दिखाना चाहते है कैसरगंज सांसद,अपनों की मदद के लिए चट्टान की तरह खडे हो जाते है बृजभूषण

पार्टी लाइन से अलग अपनी ताकत दिखाना चाहते है कैसरगंज सांसद,अपनों की मदद के लिए चट्टान की तरह खडे हो जाते है बृजभूषण

के.के.मिश्रा न्यूज टुडे यूपी बहराइच

राज ठाकरे के अयोध्या में न घुसने देने के ऐलान के बाद कैसरगंज से भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह देश विदेश की मीडिया मे सुर्खियां मे है। उत्तर भारतीयों से माफी मांगने की मांग को लेकर सांसद ने ऐलान किया है कि जब तक राज ठाकरे उत्तर भारतीयों से माफी नहीं मांगेंगे तब तक उनको अयोध्या में घुसने नहीं दिया जाएगा। इसके लिए वह अयोध्या के आसपास के जिलों में जनसंपर्क कर अपनी तैयारियां कर रहे हैं ।पार्टी लाइन से अलग हटकर इससे पहले भी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने अपना लोहा मनवाया है। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने जब गोंडा का नाम बदलकर जेपी नगर किया तब मंच पर ही बाहुबली सांसद ने उसका विरोध कर दिया। पूरे जिले में रथ यात्रा निकालकर मायावती को अपना निर्णय वापस करने के लिए मजबूर कर दिया था।

छात्र राजनीति से लेकर संसद तक की राजनीति में बृजभूषण शरण सिंह अपनी दबंग छवि के लिए जाने जाते रहे हैं। साल 1956 में गोंडा में पैदा हुए बृजभूषण शरण सिंह जब 16 साल के थे, तो पारिवारिक दुश्मनी में उनका घर गिरा दिया गया। इस घटना का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने अपना सामाजिक दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया। यहीं से वह युवाओं के बीच लोकप्रिय हो गए। 1979 में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीते। उसके बाद 1987 में गन्ना समिति अध्यक्ष और फिर 1988 में ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जीत कर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया।बृजभूषण की  लोगों के बीच मे काफी लोकप्रियता भी है।अपनों की मदद करने मे हमेशा चट्टान की तरह खडे रहते है।

बृजभूषण पहली बार 1991 में बीजेपी से एमएलसी का चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसी साल गोंडा लोकसभा का चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। इसी के साथ वह राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय हो गए। लालकृष्ण आडवाणी समेत जिन 40 लोगों को चार्जशीट में आरोपी बनाया गया था, उनमें बृजभूषण भी शामिल थे।

मुंबई में 1992 में हुए जेजे हॉस्पिटल शूटआउट में उनको और कल्पनाथ राय को आरोपी बनाया गया। जेजे हॉस्पिटल में अंडरवर्ल्ड डॉन गवली के एक गुर्गे को मारा गया था, वह दाऊद के बहनोई का हत्यारा था। दाऊद ने बदला लेने के लिए डॉन सुभाष ठाकुर और ब्रजेश सिंह को भेजा था। कल्पनाथ राय और बृजभूषण पर आरोप था कि उन्होंने दाऊद के शूटरों की मदद की। हालांकि बाद में उनको क्लीन चिट मिल गई।

जब बृजभूषण जेल गए तो उनकी पत्नी केतकी सिंह बीजेपी के टिकट पर गोंडा से लोकसभा चुनाव लड़ीं और जीत गईं। बीजेपी को लगा कि अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि रही बलरामपुर सीट दोबारा जीतनी है तो बृजभूषण को आगे करना होगा। उन्होंने 2004 में बलरामपुर सीट पर फिर से बीजेपी को जीत दिलाई। उसके बाद 2009 में वह समाजवादी पार्टी से कैसरगंज सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की।

2014 के चुनाव से पहले वह फिर बीजेपी में आ गए। अब तक वह छह बार सांसद रह चुके हैं। उनके पुत्र प्रतीक सिंह भी दूसरी बार विधायक बन चुके हैं। फिर भी न तो बृजभूषण को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली है और न प्रतीक को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। माना जा रहा है कि पार्टी लाइन से अलग स्टैंड लेकर वह अपनी ताकत दिखाना चाह रहे हैं।

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