गोण्डा : खाली पड़ी है कुर्सी साहब बंगले में हैं मस्त, दलाल चला रहे थाना जनता है त्रस्त….
गोण्डा : खाली पड़ी है कुर्सी साहब बंगले में हैं मस्त, दलाल चला रहे थाना जनता है त्रस्त….
रिपोर्ट राम कुमार मिश्रा गोण्डा
गोण्डा :प्रदेश में इन दिनों एक ओर जहां चौतरफा कुर्सी की लड़ाई चल रही है, वही जिलों के थानों में पदस्थ कुछ थानेदार साहब ऐसे हैं जिन्हें कुर्सी पर बैठना पसंद ही नहीं, उन्हें तो बस घर से ही थाना चलाने में मजा आता है, और हो भी क्यों न भाई पुलिस महकमे में लंबा सफर तय कर चुके हैं, उन्हें पता है कि कुर्सी का इस्तेमाल कैसे करना है, नतीजतन पाल लिए दलाल अब अगर साहब इन्हीं पुजारियों से मिलना पड़ेगा नहीं तो साहब के दर्शन नहीं होंगे
आपको बता दें कि साहब के आते ही चर्चा थी कि साहब यह हैं, साहब वह हैं, साहब ऐसे हैं, साहब वैसे हैं, लेकिन समय गुजरते लोगों को समझ में आ गया कि साहब क्या हैं….?
साहब की आराम पसंदगी का आलम यह है कि बातों से तो सौ सौ शेर ढेर कर देंगे पर रही बात काम करने की तो कई बार साहब ये भी भूल जाते है, कि किस पद पर हैं और किसे सलाह दे रहे हैं और कई बार उनकी सलाह देने की आदत ने इन्हें दिक्कत में डाल दिया है, पर साहब कहां सुधारने वालों में हैं. अरे जी उनका तो मानना है कि जो हम करते है वही सही है, तभी तो कोर्ट के आदेशो तक को दर किनार करने में नहीं हिचकते हैं……?
कुल मिलाकर कहें तो साहब को ना तो किसी का डर है ना किसी नियम कि परवाह इन्हें तो बस अपनी ही हाकने में मजा आता है! बात करें इनके जो आला है उनकी उपस्थिति का तो जिलेभर के लोग उदाहरण देते हैं! कि वाह क्या अधिकारी हैं, इनके जैसा पुलिस कप्तान तो कही हो ही नहीं सकते, इतने सज्जन है कि उनके सज्जनता का खुलेआम खाकी छाप दुरुपयोग कर रहे हैं….?
और तमाम जानकारी होने के बावजूद भी चुप्पी क्यों……. समझ से परे है…..? शुरू में तो साहब ने ऐसे रुख अपनाए की अब धरती ही पलट देंगे थानेदारों की वह परेड कराई कि सबके होश ठिकाने लग गए पर जल्द ही साहब ने वो चुप्पी साधी की दूर की क्या बात शहर में ही चोरों के ठिकाने लग गए, इन दिनों आलम यह है कि आए दिन शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में चोरी, लूटपाट,मारपीट, हत्या,की घटनाएं होती हैं पर यहां पदस्थ थानेदार शायद उस पर अंकुश लगाने के बजाय उसे छुपाने में और दलालों के माध्यम से थाना चलाने में लगे हुए हैं!