कासगंज : बवाल के बाद गांव में दलितों से मिलने जा रहे भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पुलिस ने रोका,पुलिस की कार्यवाही बर्बरतापूर्ण,एफआईआर रद्द करने की मांग
कासगंज : बवाल के बाद गांव में दलितों से मिलने जा रहे भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पुलिस ने रोका,पुलिस की कार्यवाही बर्बरतापूर्ण,एफआईआर रद्द करने की मांग
के.के.मिश्रा न्यूज टुडे यूपी डाट काम
कासगंज जिले के सादिकपुर गांव में बीते दिनों बुद्व की मूर्ति स्थापना को लेकर हुए बवाल के बाद आज भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पीड़ित दलित परिवारों से मुलाकात की और मामले की जानकारी ली।
इधर भीम आर्मी के नेताओ के जनपद आगमन को लेकर पुलिस प्रशासन चौकन्ना रहा, अर्लट होते हुए जनपद एटा से जनपद में आने वाले सभी रास्तों पर पुलिस का पहरा बिठा दिया गया। बवाल की आशंका देखते हुए दो कंपनी पीएसी की तैनाती की गई और साथ में खुद अपर पुलिस अधीक्षक और अपर जिलाधिकारी ने हाइवे पर डेरा डाल दिया वहीं सादिकपुर गांव के एक किमी पहले सीओ पटियाली के नेतृत्व में रास्ते को बंद कर दिया गया था।
दरअसल बीते 4 अगस्त को कासगंज जिले के सहावर कोतवाली क्षेत्र के गांव सादिकपुर में विवादित स्थल पर दलित परिवारों द्वारा बौद्व मूर्ति की स्थापना की जा रही थी, सूचना पर पहुंची सहावर पुलिस ने जब मूर्ति को रुकवाने का प्रयास किया तो गांव में बवाल हो गया था।
भड़के दलित परिवारों ने पुलिस पर पथराव कर दिया था, जिसमें सहावर थानाध्यक्ष समेत कई पुलिसकर्मी चोटिल हो गए थे।
बाद में पुलिस ने 21 नामजद व 40 अज्ञात के खिलाफ मुकद्दमा पंजीकृत कर 21 लोगों को जेल भेज दिया था, पुलिसिया कार्रवाई से खफा दलित परिवारों ने दलित संगठनों से हस्तक्षेप की मांग की थी। आज भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न ने कासगंज जाकर दलित परिवारों से मुलाकात की और घटनाक्रम की जानकारी ली।
भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रत्न ने मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि गांव सादिकपुर थोड़ा सा अंदर है , इसलिए दलितों पर होने वाले अत्याचार दब जाते हैं। पुलिस ने बर्बरता की है, हमारे लोगों को पीटा है , पढाई करने वाले बच्चों को जेल भेजा गया है, हमारी बात हुई प्रशानिक अधिकारियों से ,उनका कहना है वो गलत कर रहे थे। भारत का संविधान हमें यह अधिकार देता है कि कोई भी किसी भी धर्म को मान सकता है, सादिकपुर गांव में बुध्द प्रतिमा को लगाने से रोका गया और प्रतिमा का अपमान किया गया।
जब दलित परिवारों ने इसका विरोध किया तो उनके साथ पुलिस ने हिंसक वर्ताव किया। पुलिस कार्रवाई से डरे दलित परिवार जंगलों में रह रहे हैं, हमारी पुलिस प्रशासन से मांग है कि दलित परिवारों पर दर्ज फर्जी मुकद्दमों को रद्द किया जाए और दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई हो।